“सर्दियों की सिरहन का,
मन की थिरकन के साथ
गहरा नाता है…
यही वो मौसम है न
जो अपनी मनमर्जियों के साथ भी हमें खूब भाता है…!!
अगर आपकी रसना को चटखारों की याद आ रही है,
मौसम की रूमानियत में नीयत अलाव तलाश रही है,
तो चलिए शब्दों को थोड़ी आंच दें,
जज्बातों की थोड़ी भाप दें….. !!
मेरी फितरत से सभी रूठ जाते हैं
आईना दिखाने से सभी टूट जाते है
सर हर किसी के आगे झुकाता नहीं
तभी कुछ लोग मुझसे छूट जाते हैं
वक्त जब संवरने का आया तब ही टूटा आईना.!
पहले हम रूठे रहे अब हमसे रूठा आईना..!
कहते हैं आईना कभी झूठ बोलता नहीं..!
“किरदार अपना पहले बनाने की बात क़र…!
फिर आइना किसी को दिखाने की बात कर.!!”
आईना शब्द सुनते ही अपना चेहरा सबसे पहले याद आता है तो आइए महफ़िल-ए-दर्पण दर्पण में हम आपकी कलम का सूरत-ए-हाल देखें जिसमें पहली पायदान पर नज़र आ रहीं हैं श्रीमती सीमा नेमा एवं दूसरी पर श्री आनंद नेमा.!आप दोनों को तहेदिल से मुबारकबाद.!! कुछ ऐसे चेहरे भी साफ नजर आ रहे हैं जिनकी कलम ने भी धमाल किया है उनमें अल्का नेमा, राजेश नेमा,मधु नेमा,पुष्पा नेमा, सुजीत नेमा डायटीशियन निधि नेमा, स्वेता नेमा, साक्षी नेमा, प्रभुनारायण जी नेमा, चिंटू नेमा, साधना नेमा, स्वाति एवम मनीषा नेमा आप सभी को आत्मीय बधाई.आप सभी ने महफ़िल-ए-रौनक बढ़ाई.!!
गुलशन में यूँ तो आप सभी ने पौधे रोपे किसी ने बाहर नर्सरी से लाकर तो किसी ने खुद बीजारोपण से पर दो बागबां ऐसे निकले जिन्होंने खूब संवारा गुलशन को उनमें पहले बागबां अक्षय नेमा मेख और दूसरे अरविंद नेमा..!! जिन्होंने न सिर्फ सुंदर पौधरोपण किया वरन उनकी देख रेख भी बखूबी कर रहे हैं..! दोनों को दिली मुबारकबाद बधाई..! जिन्होंने विभिन्न तरह के फूल गुलशन में खिलाये और गुलशन की रौनक बढ़ाई उनमें अंशु नेमा, स्वाति नेमा,मंजूषा कतलाना,प्रकाशचंद्र नेमा, आशा प्रकाश नेमा,स्वेता नेमा, गायत्री गुप्ता,एवम संध्या नेमा, प्रमुख हैं आप सभी को पुनः ह्र्दयतल से बधाई.!!
सागर की इक बूंद शबनम बन गई
एक अजनबी मेरी हमदम बन गई
जिंदगी की राहों में कौन कब मिले
वो जो अकेली थी अब हम बन गई
शबनम उर्दू अल्फ़ाज़ में एक बेहतरीन शेर- ओ- शायरी का लब्ज़ है…! जिस पर तमाम शायरों ने अपने खूबसूरत शेर,गज़लें,नज्में लिखीं..! जिस पर आप सभी ने भी अपने पसंदीदा तमाम शायरों के शेर लिखे जो बे- शक बढ़िया थे कुछ ने अपनी स्वरचित रचनायें भी लिखीं जो स्वलेखन का एक अच्छा संकेत है.! जहाँ तक हमारा सोचना है कि मंच का मक़सद भी स्वलेखन को प्रोत्साहित करना है.!! हालाकि दिए गए शब्दों पर शेर-ओ- शायरी,गीत-गजलों नज़्मों की खोज कर मंच पर लाते हैं जिससे निःसन्देह आप सभी की सम्बंधित विषयों पर जानकारियाँ भी बढ़ती हैं जो एक सकारात्मक संदेश है..!
शबनम पर जिन्होंने अपनी शबनमी कलम चलाई उहमें कविता नेमा प्रथम एवं नेहा नेमा द्वतीय स्थान पर रहीं.!दोनों को दिली मुबारकबाद.! इनके भी प्रयास सराहनीय रहे जिनमें स्वाति नेमा, राजेश नेमा, पुष्पा नेमा, शैलजा नेमा, संध्या नेमा, साधना नेमा, पीयूष नेमा,प्रियंका नेमा, मंजूषा कतलाना,अंजली नेमा, आनन्द नेमा मुख्य रहे.!!आप सभी को ह्र्दयतल से शुभकामनाएं बधाई..!!
गज़ब की आशिक़ी दिखाई आप सभी ने खूब लिखा आशिक़ी पर अपने अपने आशिकाना अन्दाज़ में..!!मनीषा जी द्वारा विषय ही कुछ ऐसे दिए गए हैं कि कलम खुद-ब-खुद चल जाये..!!और जुवां पर गीत भी आ जाये..! सबसे ज्यादा आशिक़ी पर लिखा कलम के आशिक़ श्री सतीश गुप्ता जी ने बस लिखते गये.! फिर नंबर आता है ज्योति नेमा जी का उन्होंने भी एक नए अंदाज में लिखा”गजब की आशिक़ी है तेरी इन निगाहों में,जब भी देखती हैं डूबने को मज़बूर कर देती हैं” सतीश गुप्ता जी,ज्योति नेमा जी को एवम आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं बधाई.!! आशिक़ी पर लेखन में नितिन नेमा,पुष्पा नेमा,प्रभुनारायण जी नेमा,अंशु नेमा,शैलजा नेमा, प्रिया नेमा अनुराग नेमा, दिलीप नेमा, अक्षय नेमा मेख,नेमा स्वाति,प्रतिभा नेमा के प्रयास भी प्रभावी एवम सराहनीय रहे..!!