मुम्बई निवासी “नेमा दर्पण” की संचालक एव साहित्य दर्पण की संयोजक श्रीमति_मनीषा_नेमा से जिनकी लेखनी में माता सरस्वती का आशीर्वाद है सहज और सरल शांत भाव से अपने कार्यो के प्रति गम्भीरता ही आपके व्यक्तिव का परिचय है। आप के द्वारा आयोजित महफ़िल ऐ दर्पण भी काफी सराहा गया है और लोगो को अपनी अभिव्यक्ति के लिए इस आयोजन का इंतजार भी रहता है , आप का दर्पण से जुड़ने का अनुभव विगत 7-8सालों से एक मेंबर के रूप में और पिछले ,3सालों से संचालक के रूप में “नेमा दर्पण” का साथ बेहद सुखद रहा है। आप ने बताया कि “मुझे मेरा पता “नेमा दर्पण” ने दिया। सीखने सिखाने की बह चली धारा में खुद को तलाशा है मैंने “नेमा दर्पण” के माध्यम से…मुझे यूं लगता है ये –
“कुछ कुछ अपनों के गांव जैसा
कुछ कुछ बरगद की छांव जैसा।”
आप का मानना है कि किसी भी संगठन का अस्तित्व और प्रतिष्ठा निश्चित ही उसके सामूहिक नेतृत्व क्षमता पर निर्भर करती है।सभी संचालक एक परिवार की तरह एक दूसरे का सहयोग करते है जिसके परिणाम स्वरूप दर्पण को एक नई दिशा देकर समाज को समर्पित करने में सफल रहा है।
आप का जन्म 8 अप्रैल 1975 को सतना में हुआ।आप के पिता स्व श्री कैलाश चंद्र नेमा जी सतना निवासी प्रतिष्ठित कारोबारी के साथ साथ होटल पार्क के रूप में जाने जाते थे। आप का विवाह खुरपे वाले श्री रमेश चंद्र नेमा जी के सुपुत्र श्री देवराज नेमा जी के साथ हुआ है आपने अपनी शिक्षा BSc,MSc (Botany), DISM (1 year Diploma from Aptech) सतना में पूर्ण की है। वर्तमान में आप का व्यसाय Freelance Translation English<>Hindi है। नेमा दर्पण के माध्यम से आप ने अपने संदेश में कहा कि “आज के इस परिवेश में मैं यही संदेश देना चाहूंगी अपने कर्मों के प्रति ईमानदारी मतलब देश के प्रति वफादारी…साथ ही साथ “घर से बाहर न निकलें.. खुद भी सुरक्षित रहें दूसरों को भी सुरक्षित रहने दें।”
निश्चित ही आज नेमा समाज मे “नेमा दर्पण” जो सशक्त संवाद माध्यम के रूप में स्थापित हुआ है उसमें श्रीमति मनीषा नेमा का विशेष योगदान है इस अवसर पर “नेमा दर्पण” परिवार आप का आत्मीय अभिनंदन करते हुए उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना करता है।